अफ़सोस ! "थाली बजाई, दिए भी जलाये और अब गाय के गले लग जाओ कोरोना वायरस भाग जाएगा" ट्रेंड नहीं कर पाया ! 

क्योंकि इस कोरोना क्राइसिस में cow cuddling (गाय के गले लगना या आलिंगन करना ) ग्रोइंग वेलनेस ट्रेंड अमेरिका में बना है ! दरअसल हम सारे ही पारस्परिक नेगेटिव मोड में हैं ! कन्फ़्युजिया मत जाइये कि सारे कोरोना वायरस नेगेटिव हैं ! अभी दिन है और इसे यदि किसी एक समूह ने दिन बता दिया तो दूसरा समूह रात बता देगा और वो भी लॉजिक के साथ कि कोरोना महामारी हैं, दिन कहां से हैं; काला साया जो है ! यही चल रहा है ! 

हौसला अफजाई के तौर पर एकजुटता का संदेश देने के लिए थाली बजाने का और दिए जलाने का आह्वान किया गया था ठीक वैसे ही जैसे आर्मी बैंड इंस्पिरेशनल धुन बजाते हुए मार्च करता है जवानों की हौसला अफजाई के लिए बैटल फील्ड की ओर रवानगी के समय ! क्या उसने कहा था कि ऐसा करने से कोरोना भाग जाएगा ? 

पिछले दिनों ही कांग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा ने एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया है कि अमेरिका में लोग गाय को गले लगाने के लिए एक घंटे का २०० डॉलर तक का भुगतान कर रहे हैं। उन्होंने लिखा कि साफ है कि भारत इसमें आगे है। यहां गायों को ३००० सालों से पूजा जा रहा है। हमारे देश में गौ प्रेम का जो ट्रेंड है अब दुनिया में बढ़ रहा है। वैसे देवड़ा जी को बता दें न्यूज़ अक्टूबर २०१८ की है जिसे इस कोरोना क्राइसिस के संदर्भ में किसी ने एक ब्यूटीफुल वीडियो बनाकर शेयर कर दी है ! अच्छी बात एक ये भी है कि पृष्ठभूमि में म्यूजिक इंडियन (शास्त्रीय) है !  

उनका कथन सौ फीसदी सही है लेकिन पिछले कई सालों से असामान्य ही है चूँकि समूह बनाम समूह जो चल रहा है ! गऊ माता के इस देश में सीएसआर सरीखी गौशाला कर की स्वतंत्र परिपाटी थी और लोग गर्व से फॉलो करते थे ! आज विरोध के लिए विरोध की राजनीति का शिकार हो रही है हमारी गौ माता ! फिर भी चीजें को-एक्जिस्ट (co - exist) करती हैं ! पिछले दिनों ही बीफ राजनीति के लिए चर्चित प्रदेश गोवा में मैं गाय को समर्पित गाय काजू नाम के काजू प्रोसेसिंग संस्थान से रूबरू हुआ जिसकी कमाई गोवंश  के पुनरुद्धार के लिए है ! 

तात्पर्य ये है कि चीजों का, विरोधाभासों का सह अस्तित्व (co - exist ) रहा है हर काल में और आज भी है ! तो फिर कहीं कोई गोमूत्र या गोबर की बात करे तो उसे क्यों उछाला जाय ?  ठीक है , कोई आधार(वैज्ञानिक या चिकित्सीय)  नहीं है लेकिन विश्वास यानी फेथ भी तो कोई चीज है ! आपत्ति होती है जब अपनी अपनी सुविधानुसार फेथ का मखौल उड़ाया जाता है ! यही बात "उन पर" भी लागू होती हैं जो काऊ प्रोटेक्शन के नाम पर बीफ बैन करते हैं या बूचड़खानों पर गाज गिराते है ! आप रेग्युलेट करो ना ताकि गोवंश पर ज्यादती ना हो ! 

इसी संदर्भ में केरल की युवा कांग्रेस के नेताओं की विरोध के नाम पर सार्वजानिक calf-slaughtering की शर्मनाक घटना याद आती है ! उन्हें पता नहीं तब किसी ने क्यों नहीं याद दिलाया और आज जब वैसी ही मानसिकता वाले लोगों द्वारा गोमूत्र और गोबर का बेहूदगी की हद तक खूब मजाक उड़ाया जा रहा है, उन सबों को कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता और राजयसभा सदस्य ऑस्कर फर्नांडीज के पार्लियामेंट में ही दिए गए वक्तव्य को सुनना चाहिए जिसमें वे मेरठ के किसी आश्रम का हवाला देते हुए कहते हैं कि गोमूत्र चिकित्सा पद्धति से कैसे किसी का कैंसर सौ फीसदी ठीक हो गया ! कहने का मतलब एक व्यू ये भी तो है ! कुल मिलाकर एक संतुलन की बात होनी चाहिए ! 

तो आज दुनिया में स्विट्ज़रलैंड से लेकर अमेरिका तक गौशालाएं हैं,  cow cudding या गायों को सहलाना या गले लगाना लोकप्रिय ही नहीं , प्रचलित सा हो गया है जबकि भारत में ऐसा कोई भी प्रयास आपसी ब्लेम गेम की भेंट चढ जाता है ! तभी तो कभी दैवीय प्रतिनिधित्व समझी जाने वाली हमारी गायों की बात करने वालों की जमकर लानत मलानत की जा रही है ! 

धार्मिक बातें छोड़ दीजिये, आज के इस युग में पैट थेरपी की मान्यता कैसे नकारी जा सकती है ?  कोरोना वायरस की वजह से देश-विदेश में हर रोज लोग अपनों को खो रहे हैं, वायरस से बचने के लिए लोग स्टे एट होम हैं ! अब साइड इफ़ेक्ट नहीं मेन इफ़ेक्ट कहना उचित होगा लोगों के मेंटल हेल्थ पर !  डिप्रेशन और एंग्जायटी चरम पर है तो लोग तरह-तरह के उपाय अपना रहे हैं ताकि वे तनाव से उबर पाएं ! इसी तारतम्य में अमेरिका और यूरोप के लोगों के मध्य cow cuddling मेंटल हेल्थ की खुराक बनी है ! गाय शांत स्वभाव की होती है,  कोमल और धैर्यवान भी होती हैं !  जब हम उसे गले लगाते हैं तो उसके गर्म शरीर का तापमान, धीमी गति से दिल की धड़कन और बड़े आकार का क्युमुलेटिव फायदा मिलता है  जो हमारे बॉडी के मेटाबोलिज्म, इम्यूनिटी और तनाव  को कंट्रीब्यूट करता है ! डॉक्टरों के अनुसार, गाय को गले लगाने का एहसास भी एकदम घर पर एक बच्चे या पालतू जानवर को पालने जैसा ही है। गाय को एक बार हग करना हैप्पी हार्मोन ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन और डोपामाइन को ट्रिगर करता है जो कोर्टिसोल यानी तनाव वाले हार्मोन को कम करता है।  इस वजह से तनाव, चिंता और अवसाद कम होता है। कुल मिलाकर वजहें कॉमन है भले ही आप इसे cow cudding कहें या गौ स्पर्श चिकित्सा कहें !   

शुक्र है गाय के गले लग जाने या आलिंगन में लेने वाले वेलनेस कांसेप्ट की शुरुआत अमेरिका और यूरोप से हुई है जिसे अब आदत से मजबूर हम इंडियंस कॉपी करेंगे ! लाइटर नोट पर कहूं तो मिलिंद जी के साथी नेता और खासकर उनके एक तो हिंदी के मूर्धन्य विद्वान और दूसरे अंग्रेजी के प्रकांड ज्ञाता कहीं अमेरिकन गायों पर ही रिसर्च पेपर ना ले आवें क्योंकि समस्या देसी गाय से है ! अब हिंदुस्तान है यहां तो परम्परागत विरासत, मान्यता, ट्रेडिशन भी दलगत राजनीति के तहत अंधविश्वास बता दिए जाते हैं ! तभी तो हरियाणा सरकार को प्रस्तावित काऊ साइंस एग्जाम रद्द करना पड़ा ! लेकिन मिलिंद जी की जानकारी और बढ़ा दूँ अमेरिका के पहले हरियाणा में कामधेनु गोवर्धन एंड आरोग्य संस्थान नाम के  एनजीओ ने पाश्चात्य ट्रेंड का हवाला देते हुए तारु, हरियाणा में गौ स्पर्श चिकित्सा (cow cudding centre) की शुरुआत कर दी है !

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Prakash Jain

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