दरअसल समस्या वैक्सीन के मोदी काल में ईजाद होने से है ! 

आरटीआई से मिले जवाब की बिना पर इंडियन नेशनल कांग्रेस की डिजिटल कम्युनिकेशन एंड सोशल मीडिया विंग के स्वयंभू कोऑर्डिनेटर किसी गौरव पांधी ने भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन को लेकर अनवांटेड और अनवारंटेड ट्वीट किया ! बात ट्विटर तक ही सीमित रह जाती तो कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब नहीं बनती क्योंकि "व्यूज एंड ओपिनियंस पर्सनल" वाला विक्टिम कार्ड चल जाता ! परंतु गौरव की सोच से इत्तेफाक रखते हुए पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता और वरिष्ठ किस्म के नेता पवन खेड़ा भी भारत सरकार और भारत बायोटेक से पब्लिक्ली कैफियत मांग बैठे ! 

सफाई कहें या क्लारिफिकेशन कहें सरकार ने और भारत बायोटेक ने भी चीजों को स्पष्ट कर दिया है लेकिन कांग्रेस पार्टी की इस सफाई की चाहत ने एक बार फिर वैक्सीन हैजिटेंसी को कंट्रीब्यूट कर ही दिया है और अब उन्हें सफाई देनी पड़ रही है ! लॉजिक वही दिया जा रहा है जो पहले भी हर सेल्फ गोल पर देते रहे हैं मसलन यदि हमने न पूछा होता तो इतिहास हमें माफ़ नहीं करता ! मतलब लॉजिक के लिए इल्ल लॉजिक दे दिया ! बात वर्तमान की है और कोरोना चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है - एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति ! 

गौरव पांधी  का ट्वीट करना , वीडियो पोस्ट करना , पवन खेड़ा का आना , फिर सुप्रिया सिनेत की डैमेज कंट्रोल की असफल कोशिश करना  और गौरव का एक ट्वीट डिलीट करना सभी पब्लिक डोमेन में हैं  ; लेकिन एक बात तो क्रिस्टल क्लियर है कि पार्टी  कन्फ्यूज़्ड हैं  तभी तो गौरव ने सिर्फ एक ही ट्वीट वापस लिया  है और अन्य संबंधित ट्वीट और वीडियो प्लेटफार्म पर हैं और खूब शेयर भी हो रहे हैं ! 

जब गौरव ने अपने ट्वीट से आरटीआई के जवाब को टैग करते हुए भारत सरकार पर हीनियस क्राइम का आरोप लगाया था , तभी आनंद रंगनाथन ने , जो स्वयं अभी संक्रमित भी हैं, अत्यंत ही संक्षेप में टू द पॉइंट फैक्ट्स रखते हुए उनसे WDTT का  अनुरोध किया था ! WDTT बोले तो "will delete this tweet" लेकिन वो कहते हैं ना अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिर रहे हैं तो क्या हो सकता है ? डॉक्टर आनंद रंगनाथन , चूँकि बायोटेक हैं , से बेहतर वैक्सीन की समझ किसी पॉलिटिशियन को तो हो नहीं सकती ! गौरव पांधी को रिप्लाई वाला उनका ट्वीट हूबहू इस प्रकार है - 

Pl delete this tweet. 1. COVAXIN is the vaccine - it does NOT contain Calf serum as you allege. 2. Calves are NOT slaughtered for it. 3. Calf serum is used ONLY for growing cells to make more of the virus. 4. This information is ALREADY in public domain since September 2020. WDTT 

बाकी सरकार की तरफ से हेल्थ मिनिस्टर ने सफाई दी हो या बीजेपी प्रवक्ता पात्रा ने या भारत बायोटेक ने या किसी फैक्ट चेकर साइट ने, सबका सार ही है डॉक्टर आनंद का गौरव को रियल टाइम में किया गया जवाबी ट्वीट !

अब जरा चले आए टीकाकरण पर ! वैक्सीन को लेकर संदेह का माहौल पहले से ही चला आ रहा है, न्यूज़ में तमाम ख़बरें भी आ रही हैं, तमाम फनी टाइप कारण सुन रहे हैं और सभी अफवाहों से जुड़े हुए हैं ! कहीं न कहीं लोग अपनी बौद्धिकता ताक पर रख कर विवेकहीन बर्ताव कर रहे हैं ! ऐसे में इस गाय बछड़े की खबर ने तूल पकड़ लिया तो अंजाम क्या होगा सोचकर ही मन सिहर उठता है !  

इंदिरा कांग्रेस का चुनाव चिन्ह - गाय बछड़ा
इंडियन नेशनल कांग्रेस के नेतागण अपनी पॉलिटिकल हताशा में बदहवास से हो गए हैं ! क्या अच्छा होता वे, सरकार से या फार्मा  से सफाई मांगने की बजाय, स्वयं सीरम को लेकर उठी किसी भी भ्रान्ति या सवाल का पुरजोर खंडन कर देते ! यकीन मानिये वे स्कोर कर जाते ! फिर ऑन ए लाइटर नोट कहें तो कभी कांग्रेस का चुनाव चिन्ह "गाय बछड़ा" हुआ करता था ! एक बात और,  बात निकली ही है तो याद दिला दें हम तो गाय को माँ स्वरूप मानते हैं ! कल्पना कीजिये गाय बोल पाती तो हमारी गाय माता क्या बोलती ? वही कहानी सच होती जिसमें मां के कलेजे से आवाज आयी कि ए मेरे लाल तुझे कहीं चोट तो नहीं आयी !  

लेकिन चीजों को सही परिप्रेक्ष्य (perspective) कहां मिल पाता है राजनीति में ? धर्म और आस्था को लेकर तो गिरगिट की तरह रंग बदल जाता है या बेहतर कहें तो बदला जाता है ! विरोध के लिए विरोध की राजनीति का शिकार होती रही है हमारी गौ माता ! सौ बात की एक बात कहें तो जब हिंदुओं को रिझाना है तो गाय हमारी माता है और जब अन्य धर्म और आस्था वालों को मसलन मुस्लिम या क्रिश्चियन समुदाय को रिझाना है तो ............... !  सम्माननीय प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी ने कभी कहा था कि गाय सभी देशों में दूध देने के काम आती है परन्तु हमारे देश में वोट दिलवाने के काम भी आती है। आखिर फर्क जो है "नेता" और "लीडर" में !  इसलिए हार्श होने से रोक नहीं पा रहे हैं और याद दिलाना पड़ रहा है कि पार्टी वही है ना जिसके युवा नेताओं ने कहीं पब्लिक में ....... slaughtering की थी बीफ फेस्टिवल के लिए ! इतनी दूर जाने की जरुरत भी नहीं थी ! हालिया लक्षद्वीप का मामला है जहाँ चूंकि ९९ फीसदी जनता मुस्लिम है तो बीफ खाने पर रोक और शराब की विक्री पर रोक हटाने संबंधी आदेश को जनभावना के खिलाफ बताकर विवाद खड़ा करने में महान पार्टी सबसे आगे हैं ! 

भारत जैसे विभिन्न धर्मों और आस्थाओं के देश में हर पार्टी, हर नेता और हर एक्टिविस्ट या समाजसेवी के लिए वन लाइनर बेस्टेस्ट कोर्स ऑफ़ एक्शन भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के ब्रह्मवाक्य में छिपा है ,'हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी।' कहने का मतलब जब कभी ऐसी धर्मसंकट की स्थिति आती है तब खामोशी अखित्यार कर लेना ही कल्याणकारी होता है ! 
      

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Prakash Jain

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