प्राइम वीडियो फिल्म अनपॉज़्ड : लॉकडाउन के पॉज की परतों को खोलती पांच खूबसूरत कहानियों की पांचाली ही तो है ! 

ऐसा तो हो नहीं सकता कि छोटी छोटी क्यूट सी पांच फ़िल्में हों, पांच ही डायरेक्टर्स हों और तक़रीबन दस बारह किरदारों में कमाल के एक्टर्स हों और हम पॉज बटन को अनपॉज कर ना देखें !  सारी की सारी कहानियाँ कोविड १९ से उत्पन्न हुई असाधारण परिस्थितियों को बयां करती हैं। बहुत कुछ एक्सपीरियंस किया इस लॉकडाउन में , लोगों का डरना देखा , पलायन देखा, बीमारी से कराहते देखा, कमाई गायब होती देखी, नए नए तौर तरीके सीखे और अडॉप्ट भी किये, नए नए शब्दों से रूबरू हुए ! वायरस ,लॉकडाउन, क्वारंटीन, सोशल डिस्टेंसिंग, हेल्थ वर्रियर, डू मास्क ऑन बिफोर मूव ऑन, सैनेटाइज़ेसन, हैंड वाश,स्ट्रांग इम्युनिटी आदि दिनचर्या में शामिल हो गए ! इन सबका समाज के हर तबके पर अलग-अलग तरह से असर हुआ और इसी असर को अलग-अलग परिवेश के व्यक्तियों के नज़रिए से दिखाती है ये कहानियां ! 

सबसे ज्यादा इंटरेस्टिंग है कि कहानियाँ लॉकडाउन के दौरान ही फिल्मायी गयी हैं ! फिर शार्ट फिल्मों का फॉर्मेट ही सेल्फी मोड सरीखा है जिसमें कलाकार खुद को ही अभिनय करता हुआ देखता है या उसे ऐसा आभास होता है। पहली कहानी है ग्लिच ! यथा नाम तथा गुण तो गड़बड़ झाला है कोविड १९ के फ़्यूचर अवतार कोविड ३० की परिकल्पना का ! कोविड १९ तो जो हुआ सो हुआ वाली बात हो गयी ! कोविड ३० काल में ६० लाख लोग मर चुके हैं ; वर्क फ्रॉम होम अब एवरीथिंग फ्रॉम होम बन चुका है ; सो वर्चुअल डेटिंग पर अहान ( वर्सेटाइल एक्टर गुलशन देवैया) मिलता है आयशा हुसैन ( चोकड की सरिता पिल्लई या फिर स्पेशल ऑप्स की जूही कश्यप वाली सैयामी खेर) से ! अहान को लव एट फर्स्ट साइट वाली फील होती है  लेकिन जैसे ही उसे पता चलता है आयशा वायरस वारियर है और वैक्सीन की रिसर्च में संलग्न है , वह भाग खड़ा होता है क्योंकि वह रजिस्टर्ड हाइपो(hypochondriac who is terrified of catching the virus) है। फिर इन्फेक्शन की दहशत है तो आयशा से प्रेम भी है ! इसी कशमकश की कहानी है ग्लिच ! 

सैयामी और गुलशन दोनों ही क्यूट लगे हैं, दोनों की केमिस्ट्री परफेक्ट है। संवादों में प्रासंगिक कमैंट्स खूब हैं जो ह्यूमर क्रिएट करते हैं मसलन वैलेंटाइन्स डे बैन, थाली-ताली बजाने जैसे इवेंट्स, गो कोरोना गो आदि !  बैकड्रॉप में ‘जीपीएस न ढूँढ पाए इतना तुझमें खोए’ या फिर ‘गिटार तूने था बजाया मैं रहा था सुन, कितनी स्वीट थी वो तेरी चोरी की धुन’ जैसे बोल वाले गाने दिलचस्प हैं और लंबे समय तक सुने जाएंगे ! नो फॉल्ट फाइंडिंग इन राज एंड डीके डायरेक्शन !

दूसरी कहानी है अपार्टमेंट जिसे निखिल आडवाणी ने डायरेक्ट किया है ! विथाउट नरेटिंग एनी स्पॉइलर, सिर्फ बताते चलें कि तीन एक्टर्स हैं जिन्होंने जबर्दस्त परफॉर्म किया है। देविका (ऋचा चड्ढा) एक मशहूर मैगज़ीन ट्रू पेज ओन करती है जिसका एडिटर उसका पति साहिल (सुमित व्यास ) ही है ! नमो का सुझाया जनता कर्फ्यू लागू किया जा रहा है और दूसरी तरफ देविका किसी वजह से लगातार सुसाइड की कोशिश कर रही है ! क्यों ? इन्हीं सुसाइडल अटेम्प्ट्स में देविका के पडोसी चिराग ( पाताललोक फेम इश्वाक सिंह) की बार बार इंट्री दिलचस्प है। साथ ही नेपथ्य में चलता गाना इतना मोहक है कि सारी लाइनें लिखने का लोभ संवरण नहीं हो पा रहा है -

माना कि आजकल रूठा वक्त है,  

जिंदगी का सफर थोड़ा सख्त है ,

रुका हुआ है इस जहान का कारवां ,

ये रात जायेगी गुजर तूँ देखना ,

नई धूप है खिड़कियों पे इसे आने दो ,

अँधेरे हैं किस काम के तूँ  इन्हें जाने दे ! 

तीसरी कहानी है रैट ए रैट ! थोड़ा अटपटा सा है ना टाइटल ! इसे डायरेक्ट किया है तनिष्का चट्टोपाध्याय ने ! लॉकडाउन जनित स्थितियों में ख़ुशियों भरी कहानी है अर्चना जी (लिलेट दुबे) और प्रियंका ( रिंकू राजगुरु ) की ! एक छोटे से चूहे ने सिचुएशन ऐसी क्रिएट की कि दोनों का चंद दिनों का साथ होता है ! सीनियर सिटीजन अर्चना जी सोसाइटी में अपने हमेशा शिकायती नेचर की वजह से बदनाम हैं। प्रियंका, फिल्म इंडस्ट्री में प्रॉडक्शन डिज़ाइनर है और लॉकडाउन में काम न मिलने की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रही है। दोनों साथ साथ हैं तो हर पल मोमेंट्स क्रिएट होते हैं कभी ह्यूमर के तो कभी ट्रैजिक तो कभी शिक्षाप्रद भी ! शिकायती अर्चना जी के रोल में लिलेट ने कमाल किया है;  बार-बार मास्क सही से लगाने की हिदायत देती वे हमें अपने आसपास के किसी किरदार की याद दिला ही देती है ! प्रियंका के किरदार में सैराट फेम रिंकू की मुम्बईया मराठी मिक्स हिंदी पिछले दिनों कईयों ने हॉटस्टार वेब सीरीज  हंड्रेड में खूब एन्जॉय की होगी ! यहाँ हिंदी के हिसाब से गलत शब्दों का उसका बोलने का लहजा लुभाता है और उससे ज्यादा अर्चनाजी द्वारा करेक्ट किये जाने पर उसका रिएक्शन अच्छा लगता है !  कुल मिलाकर बहुत ही मीठी कहानी है , दोनों ही एक्ट्रेस भरपूर गुदगुदाती है !  

फिर आती है अविनाश अरुण की विषाणु  जिसमें हैं कामगार मनीष के रोल में हमारे हथौड़ा त्यागी यानी अभिषेक बनर्जी , उसकी पत्नी सीमा का किरदार निभाया है फिल्म सोनी में बनी महिला पुलिस अफसर सोनी गीतिका विद्या ओहल्यान ने ! दोनों का एक बेटा भी है मोनू !  लॉकडाउन के बाद मुंबई में फंस गए हैं। मकान मालिक ने निकाल दिया तो एक सैम्पल फ्लैट में चोरी से रह रहे हैं। एक तरफ राशन ख़त्म हो रहा है तो दूसरी तरफ स्मगल करके गांव पहुंचाने वाले इतने पैसे मांग रहे हैं कि उनका जुगाड़ करना नामुमकिन है ! क्या होगा आखिर ? अच्छे और बिल्कुल नेचुरल मोमेंट्स क्रिएट किये गए हैं जिनमें डांसिंग वीडियो वाला प्रासंगिक प्रसंग काफी अच्छा है !  अभिषेक और गीतिका दोनों ने ही उम्दा काम किया है ! मज़दूरों की बॉडी लैंग्वेज क्या खूब एक्सप्रेस की है दोनों ने ! क्या इमोशन डाले हैं गीतिका ने जब सीमा सड़क पर किसी एनजीओ वालों से खाना लेते वक्त उनके वीडियो के लिए  ‘जो शहर रोटी दे, वो अच्छा है’ वाला डायलॉग बोलती हैं ! टॉप क्लास अदाकारी है !  

अंतिम कहानी है नित्या मेहरा की चाँद मुबारक और सबसे प्यारी भी लगी कुछ तो थीम की वजह से और कुछ रत्ना पाठक शाह की बेहतरीन अदाकारी की वजह से ! आपदा में अवसर ही तो है जब ऊंच-नीच, जात-पात , अमीर-गरीब से परे  नए अनोखे किस्म के दोस्त बन जाते हैं ! एक अकेली रहती सीनियर सिटीज़न महिला उमा (रत्ना पाठक) लॉकडाउन में दवाइयां लेने चल पड़ी है तो पुलिसवाले राह चलते एक ऑटोवाले को उनकी सेवा में कर देते हैं। ऑटोवाला रफीक ( शार्दुल भारद्वाज) बिजनौर से है और लॉकडाउन की वजह से ईद तक पर अपने घर नहीं जा सकता, अपनी बेटियों से नहीं मिल सकता। शक और अविश्वास से शुरू हुआ उनका ये साथ, कैसे एक प्यारी सी दोस्ती में बदल जाता है, यही कहानी है ! रत्ना की संगत में शार्दुल भारद्वाज भी कमाल कर जाते हैं हालाँकि उनका टैलेंट इससे पहले भोंसले के पांडे में भी दिखा था ! इस कहानी का लास्ट सीन और प्रसंग लाजवाब है जिसे सुपर सीक्रेट रखना ही अपेक्षित है !     

एक और सरप्राइज पैकेज है मिस ना हो जाए तो अंत में जब एंड क्रेडिट आने लगें तो चैनल ना बदल लीजियेगा ! पायल देव की कम्पोजीशन में उसके ही साथ जुबिन का गाया मोटिवेशनल गाना  ‘सब कुछ मुमकिन है, अगर तुझमें उम्मीद है’ पूरा मूड बना देगा ! 

इस कोरोना काल में कोरोना के ही इर्दगिर्द की कहानियों का गुलदस्ता  प्रेजेंट किया है प्राइम वीडियो ने ! संकट काल में भी प्यार है , उम्मीद है , खुशियाँ भी हैं , सपने हैं और दोस्ती भी है चूँकि जिंदगी के बेसिक हैं ये सारे तत्व !   


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Prakash Jain

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