जस्ट ह्यूमर डोंट बी सीरियस : बराक ओबामा ने हमारे विलक्षण बालक को फेल कर दिया है ! 

बराक ने अपनी आत्मकथा "A promised land" में  दुनियाभर के राजनीतिक नेताओं के अलावा अन्य विषयों पर भी बात की है। अब यदि बराक ने राहुल को शुमार किया है तो बड़ी उपलब्धि ही ना हुई राहुल के लिए ! फिर पुस्तक की समीक्षा की है कांग्रेस के फेवरेट विदेशी प्रिंट मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स ने जिनमें प्रकाशित विचारों को क्वोट कर जब देखो राहुल भी मोदीकारिता पर हमला करते रहते हैं ! अब खुद लपेटे में आये तो  #माफ़ी _मांग _ओबामा ट्रेंड करवा दे रहे हैं ! 

अब भारतीयता याद आ रही हैं ! होता कौन है बराक हमारे अनुभवी चिरयुवा राहुल का रिपोर्ट कार्ड देने वाला ? आज विदेशी कार्ड याद आ गया जबकि कल तक डेमोक्रेट ओबामा के मुरीद थे और उनका हर विचार हर विश्लेषण शिरोधार्य था ! क्यों था तो बताने की जरुरत नहीं है , कांग्रेस के माउथपीस नेशनल हेरॉल्ड को स्क्रॉल कर लीजिये ! क्या खूब ट्रॉल किया था अक्षय कुमार के द्वारा लिए गए मोदी के इंटरव्यू को ! मोदी ने खुलासा जो किया था , "हम दोनों अच्छे दोस्त हैं ! तू ता कहके ही बुलाते हैं एक दूसरे को !"  मुद्दा शायद बना था कि हिंदी में आप , तू , तुम होते हैं लेकिन अंग्रेजी में तो इन सबों के लिए यू ही कहा जाता है ! हालाँकि किसी ने नेशनल हेराल्ड को ये नहीं समझाया कि अंग्रेजी में यू से संबोधन का संदर्भ बता देता हैं आप बोला या तुम बोला या तू !   

जब से खबर सर्फ हुई है तमाम बातें हो रही हैं बेचारे ओबामा की शामत आ गयी है हिंदुस्तान में ! खैर ! उनकी सेहत पर क्या फर्क पड़ता है ? लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि पता नहीं क्यों लोग बराक की सोनिया को लेकर की गयी सुंदर टिप्पणी को तवज्जो नहीं दे रहे हैं ? उन्होंने राहुल जी की मां सोनिया जी को भी याद किया है और  कहा है , "हमें  चार्ली क्रिस्ट और रहम एमैनुएल जैसे पुरुषों के हैंडसम होने के बारे में बताया जाता है लेकिन महिलाओं के सौंदर्य के बारे में नहीं। सिर्फ एक या दो उदाहरण ही अपवाद हैं जैसे सोनिया गांधी !"  

The ex-US president wrote about Sonia Gandhi’s beauty saying, "we are told of the handsomeness of men like Charlie Crist and Rahm Emanuel, but not the beauty of women, except for one or two instances, as in the case of Sonia Gandhi."

समीक्षा के मुताबिक, राहुल गांधी के बारे में ओबामा का कहना है कि 'उनमें एक ऐसे 'घबराए हुए और अनगढ़' छात्र के गुण हैं जिसने अपना पूरा पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है और वह अपने शिक्षक को प्रभावित करने की चाहत रखता है लेकिन उसमें 'विषय में महारत हासिल' करने की योग्यता या फिर जूनून की कमी है।' 

Rahul Gandhi has “a nervous, unformed quality about him, as if he were a student who’d done the coursework and was eager to impress the teacher but deep down lacked either the aptitude or the passion to master the subject.”

दरअसल समस्या कहीं और है ! बराक ओबामा की प्रतिभा और अहमियत को यदि कोई नकार रहा है तो खुद ही मजाक बन रहा है। फिर उन्होंने अपनी बायोग्राफी में जिनके बारे में भी बातें की हैं , उन्हें फॉलो किया है , समझा है ! उनके अपने अनुभव हैं, थॉट्स हैं ! ऐसा नहीं हैं कि किसी ने इंटरव्यू लिया हो और सवाल का जवाब दिया हो उन्होंने ! तो जिनके लिए कहने के लिए था उनके लिए उन्होंने कहा है ; अच्छा या बुरा अलग बात है ! जिक्र मनमोहन सिंह जी का भी किया है उन्होंने और उन्हें बिल गेट्स के समकक्ष रखते हुए क्या खूब कहा है कि अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री बॉब गेट्स और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दोनों में बिल्कुल भावशून्य सच्चाई/ईमानदारी है। कुल मिलाकर वे मुखर रहे हैं अपनी ७६५ पन्नों की  संस्मरणनुमा पुस्तक में ! पुतिन को वे मजबूत और चालाक बताते हैं ! 

अब संयोग कहें या दुर्योग कहें कि राहुल के लिए भाजपाई पिछले एक दशक से जो कुछ कह रहे थे, मसलन उनकी तो शुरुआत ही होती रही है ५० साल का अपरिपक्व बालक  के संबोधन से, कहीं ना कहीं बराक ने भी वही व्यक्त कर दिया है ! 

कब कब किन किन बातों को लेकर राहुल का मजाक उड़ता रहा है, दोहराने की जरुरत नहीं हैं ! ऐसा लगता है मानों राहुल स्वयं ही कह रहे हों , " रिजल्ट की बात छोड़ों , मनोरंजन में कोई कमी रह गई हो तो बताओ !"  ऐसा नहीं हैं कि पार्टी के समझदार नेता भांप नहीं रहे हैं ; सिर्फ संकोच भर है या कहें लिहाज है परिवार का ! और जब यह स्थिति आती है, विस्फोट कभी भी हो सकता है। बिलकुल हाल ही कपिल सिब्बल फिर एक बार खुद को रोक नहीं पाए हैं। सहयोगी पार्टियों के नेता तो खुलकर गुबार निकाल रहे हैं मसलन राजग के शिवानंद तिवारी ने तो कह दिया कि भाई बहन की पर्यटन पॉलिटिक्स बीजेपी की मददगार साबित होती रही हैं !   

तरस तब आया जब कोई अभय दुबे , शायद कांग्रेस के स्पोकसपर्सन हैं, ने बचकानी बात कही कि न्यूयॉर्क टाइम्स की बातों को क्यों मानें ; किताब अभी कहाँ आयी है जो पता चले कि उसमें यही लिखा है ! लगा वे बराक को धमका रहे थे कि हटा लो राहुल के बारे में लिखे को ! क्या वे और अन्य उनके स्तर के नेतागण ओबामा की उपलब्धियों से परिचित नहीं हैं ? आज राहुल की उम्र ५०-५१ साल की है और ओबामा पचास की उम्र में विश्व के सबसे शक्तिशाली और अमीर देश अमेरिका के प्रेजिडेंट चुन लिए गए थे और दो टर्म यानी २०१७ तक बने रहे ! और आज ५९ साल की उम्र में दो बच्चों के सुखी पिता बराक ५० वर्षीय युवा राहुल गाँधी को हर क्षेत्र में मात देते हैं , राहुल से ज्यादा युवा नजर आते हैं ! फिर ओबामा डायनास्टिक भी नहीं हैं !    

अंत में राहुल गाँधी पर ओबामा की टिप्पणी को कोंग्रस को गंभीरता से लेना ही चाहिए। उचित या अनुचित की बात ही क्यों करें , ओबामा ने यह बात किसी मंच से और पद पर रहते हुए नहीं की है। उन्होंने एक पुस्तक में अपने राजनैतिक जीवन में विषेषतः राष्ट्रपति रहते हुए दुनिया की महत्वपूर्ण राजनैतिक हस्तियों से मुलाकात के अनुभवों को साझा किया है। इसमें ऐसी कोई बात नहीं है कि  उन्होंने किसी मकसद से राहुल गाँधी को निशाना बनाया हो। यह उनका निजी अनुभव है। संयोग इसमें बन गया है कि भारत में राहुल गाँधी की छवि ओबामा के विचार से पूरी तरह मेल खाती है। कम से कम अभी तक तो जिस तरह भारतीय राजनीति में राहुल गाँधी का सफर रहा है , खुद को प्रस्थापित किया है, ओबामा का कथन सही ही लगता है।   

बराक की पुस्तक तो जब आएगी तब पढ़ी जायेगी लेकिन भारत से सम्बंधित उनके संस्मरणों और विचारों का खूब पोस्टमार्टम हो रहा है ; शायद मार्केटिंग ही हो क्योंकि बेस्टसेलिंग बुक तो भारत पढ़ेगा तभी बनेगी ! और शामत आ गयी है गांधी परिवार की ! ओबामा जी ने तो उस राज को भी जगजाहिर कर दिया जिसका जिक्र अभीतक दबी जुबान में ही होता रहा है कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह जी को ठीक चुना था , क्योंकि इस बुजुर्ग सिख से उनके ४० वर्षीय पुत्र राहुल को कोई खतरा नहीं था ! उन्होंने किताब में डॉ. मनमोहन सिंह के घर हुई डिनर पार्टी का जिक्र करते हुए लिखा है कि उस समय वहां सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद थे। सोनिया गांधी के बारे में उन्‍होंने लिखा है कि उन्‍होंने उस दौरान बोला कम और सुना ज्‍यादा। जब नीति संबंधी मामले उठे तो उन्‍होंने सावधानीपूर्वक मनमोहन सिंह से अलग रखा और अपने बेटे के संबंध में बातचीत को आगे बढ़ाया ! आज चूँकि कांग्रेस के हालात बद से बदतर हो गए हैं, हताशा में कांग्रेस के नेतागण गांधी परिवार का पक्ष रखने के उतावलेपन में और मिट्टी पलीत ही करवा दे रहे हैं ! एक आचार्य प्रमोदकृष्णन हैं उन्होंने तो राहुल को भगवान् ही बता दिया !

हंसी ही आती है जब कांग्रेस और एंटी मोदी लॉबी ओबामा द्वारा बीजेपी के विभाजनकारी राष्ट्रवाद पर की गयी टिप्पणी की आड़ में माहौल हल्का करने की बेजान कोशिश कर रहे हैं ! वे सुविधाजनक रूप से संदर्भ को ही गोल कर दे रहे हैं ! ओबामा का तंज भरा सवाल है, 'क्या माँ की तरफ़ से लिखी गई किस्मत को सही साबित करने और बीजेपी की विभाजनकारी राष्ट्रवाद के ख़िलाफ़ कांग्रेस पार्टी का दबदबा कायम रखने के लिए बैटन सफलतापूर्वक राहुल को दे दिया जाएगा ?'

चलते चलते राहुल तो विपश्वी साधक हैं ! उन्हें स्वयं आत्मचिंतन करना चाहिए ! ऐसा क्या हो गया है कि वे लोगों का विश्वास खो चुके हैं ? यदि सिब्बल जैसे प्रबुद्ध राजनेता हताश हैं पार्टी के प्रति जनता के रुख से और पार्टी के अंदर की संवादहीनता का जिक्र फिर से करते हैं, तो स्थिति विकट हैं ! बजाय बराक की आलोचना के उन्हें बराक से मिलना चाहिए, उनसे कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिए ! वे उन्हें कभी गलत सलाह नहीं देंगे क्योंकि उनकी टिप्पणी बिल्कुल स्वतंत्र और बेबाक है ! दरअसल एंटी मोदी तत्वों का घेरा है राहुल के इर्दगिर्द और उनके लिए राजनीति का मतलब ही सिर्फ मोदी विरोध हो गया है ! कम से कम अपने नवीनतम छोटे भाई तेजस्वी से ही गुर सीखें ! तेजस्वी ने परंपरागत गुरु परंपरा का सम्मान करते हुए अघोषित गुरु (पीके) की पुरानी ही सही परंतु स्थापित सलाहों का पूरा पालन किया और  मात्र ३० साल के लालू पुत्र की परिपक्वता देखिये, सबकुछ जानते समझते हुए भी चुनाव के दौरान कभी उसने नरेंद्र मोदी के लिए ओछी बात नहीं की और ऐसा ना करने की हिदायतें भी देते नजर आये अपने नेताओं को !   


Write a comment ...

Prakash Jain

Show your support

As a passionate exclusive scrollstack writer, if you read and find my work with difference, please support me.

Recent Supporters

Write a comment ...