दिवंगत सुशांत की फिल्म छिछोरे का मोटिवेशनल डायलॉग याद आ गया - तुम्हारा रिजल्ट डिसाइड नहीं करता है की तुम लूज़र हो कि नहीं ; तुम्हारी कोशिश डिसाइड करती है !
यक़ीनन ट्रंप ने भरपूर कोशिश की थी तभी तो एक समय जो मुकाबला एकतरफा बाइडन के पलड़े में झुका हुआ था, अंत आते आते जबर्दस्त हो गया ! और थेथड़ई देखिए मोदी जी के परम मित्र की , अभी भी जायज नाजायज कोशिशें जारी हैं !
हमारे देश में लोग हैं कि मोदीनामा समझते नहीं हैं ! डेमोक्रेट बराक भी उनका दोस्त था और जब रिपब्लिकन ट्रंप आये तो उनसे भी दोस्ती गांठ ली ! दरअसल मोदी जी की तमाम दोस्तियां ड्रामा ही होती हैं ; हालाँकि मंदबुद्धि विपक्षी नेतागण उनकी लाहौर जाकर नवाजशरीफ से मुलाक़ात करने और जिनपिंग को झूला झुलाने जैसी मोदी नुमा डिप्लोमैसी का भरपूर मजाक उड़ाते हैं ! जिन शब्दों में मय बाइडन के एक बेहतरीन फोटो को टैग करते हुए मोदी जी ने बधाई का ट्वीट किया है , उनका मोदीनामा दर्शाता है ! वैसे थोड़ा ह्यूमर के मूड में हैं तो इस ट्वीट का आनंद लें और लगे हाथों मोदीनामा भी समझ लें !
और इसी कमतर बुद्धिमत्ता की वजह से तमाम लिबरल टाइप बुद्धिजीवी ट्रंप की हार में मोदी की हार का मुग़ालता पाल बैठे हैं ! ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट मानें तो ट्रंप की चुनावी शिकस्त से वैश्चिक स्तर पर किम जॉन्ग उन (नार्थ कोरिया ), व्लादिमिर पुतिन(रशिया ), शी जिनपिंग(चाइना ), रजप्प तैयब एर्दोआन(तुर्की ) , मोहम्मद बिन सलमान (सऊदी अरबिया) , बेंजामिन नेतान्याहू (इजराइल ) की हार हुई हैं। रिपोर्ट में डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन के उस बयान का जिक्र है जिसमें उन्होंने कहा है-इस राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) ने दुनिया के सभी ठगों को गले लगाया है।
अब सवाल है बाइडन के आने से इंडिया कैसे प्रभावित होगा ? तो सौ बातों की एक बात है रिश्ते बेहतर ही होंगे ! डेमोक्रेटिक पार्टी की नीति सदैव भारत के पक्ष में रही है। डेमोक्रेट्स भारत के परंपरागत सहयोगी व समर्थक रहे हैं। यही वजह है कि भारतीय-अमेरिकी लोगों का झुकाव डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर ज्यादा रहता है। चीन के मामले में अमेरिका को भारत का सहयोग मिलता रहेगा क्योंकि चीन को सुपरपावर बनने देने से रोकना भारत के साथ के बिना संभव नहीं हैं। थोड़ी चिंता यदि है तो बाइडन के कश्मीर को और सीएए को लेकर दिए गए बयानों के मद्देनज़र है ! तो डेमोक्रेटिक पार्टी के अंदर ही दोनों बातों पर बाइडन अलग थलग हैं ; उनका बयान मात्र चुनावी बयान भर था ! सो तय है बाइडन इस मामले में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की नीति का ही अनुसरण करेंगे। फिर वाईस प्रेजिडेंट भारतीय मूल की कमला हैरिस बन रही हैं तो वे बेगानी कैसे हो सकेंगी नीति निर्धारण में ?
अंत में आएं अपने मूल विषय लूज़र पर ! दरअसल बात बीते कल यानि शनिवार की हैं। ट्विटर पर यूज़र्स द्वारा 'लूज़र' सर्च किए जाने पर सबसे पहले नतीजों में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का अकाउंट आ रहा था। ट्विटर ने कहा कि लोगों ने ऐप पर जिन शब्दों का प्रयोग अपने ट्वीट में किया, उसके चलते ये नतीजे अपने आप जनरेट हो रहे हैं। बतौर कंपनी, "यह...अस्थाई है और (नतीजे)...ट्वीट्स के आधार पर बदलते रहते हैं।" इसी प्रकार विनर सर्च किया जा रहा था तो बाइडन का अकाउंट आ रहा था।
चूँकि ट्विटर प्रो डेमोक्रेट हैं , इस पर सवाल उठने लाजिमी भी थे। और फिर जब ट्रंप ने चुनाव में अपनी जीत के बावत ट्वीट किया तो ट्वीटर ने डिस्क्लेमर चिपका दिया लेकिन बाइडन के ट्वीट पर ऐसा कुछ नहीं किया। तो हुआ ना प्रेफेरेंटिअल ट्रीटमेंट बाइडन के लिए !
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