चूंकि वे हर साल २० अगस्त को भावभीना ट्वीट करते रहें हैं, इस बार नहीं किया तो लोग बातें तो बनाएंगे ही फिर भले ही राहुल "अमर प्रेम" के आनंद बाबू के अंदाज में गुनगुनाए - कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना ; छोड़ो बेकार की बातों में ...कहीं भूल ना जाएं ....!"
थोड़ा ट्विटर खंगाला तो २०२० की २० अगस्त की सुबह ७ बजकर २९ मिनट पर (दिन का पहला ट्वीट ) ही पिता को याद करते हुए उन्होंने लिखा - I am incredibly lucky and proud to have him as my father.
इसी प्रकार साल २०१९ की २० अगस्त की सुबह (०८.०७ बजे ही ) भी उन्होंने ट्वीट कर दिया था - To me, he was a loving father who taught me never to hate, to forgive and to love all beings."
स्पष्ट है जब से वे ट्विटर पर हैं , कभी भी इस प्लेटफार्म पर पिता के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने से नहीं चूके हैं ! तो इस बार चूक क्यों हो गई ? अनजाने ही हो गई या फिर जानबूझकर ? ये तो राहुल स्वयं ही बता सकते हैं ; हालांकि वे बताएँगे नहीं ! हाँ ! उनके सुरजेवाला, खेड़ा सरीखे बयानवीर प्रवक्ता जरूर सामने आएंगे और कवर अप करेंगे ! शायद सुरजेवाला जी ने तर्क पेश भी कर दिया होगा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी शुक्रवार सुबह ही अपने साथियों के साथ राजीव गांधी के स्मृति स्थल वीरभूमि पर पहुंचे और अपने पिता को श्रद्धांजलि दी ; कांग्रेस द्वारा भी राजीव गांधी को ट्विटर पर श्रद्धांजलि दी गई।
राहुल के ट्विटर हैंडल पर जाएँ तो उन्होंने छह अगस्त को आखिरी ट्वीट किया था #FarmersProtest के तहत चूल्हा, मिट्टी , तालाब,बैल,हल,फसल, कुआं,पानी,खेत-खलिहान,किसान की तुकबंदी करते हुए अपने चिर परिचित अंदाज में "पीएम के हमारे दो" वाला तंज कसा और बताया 'किसान के लिए हम है !'
ट्विटर की इंडिया ग्रीवांस सेल ने दिल्ली रेप पीड़ित बच्ची के परिवार से नो ऑब्जेक्शन लेटर लेने के बाद स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर (१४ अगस्त) ही राहुल गांधी का ट्विटर अकाउंट करीब एक हफ्ता बाद अनलॉक कर दिया था। उनकी टाइमलाइन पर आखिरी ट्वीट ६ अगस्त का ही है और इसी वजह से ट्विटर पर लोग इसे लेकर सवाल पूछने लगे हैं। कई सीनियर पत्रकार भी ऐसा ही सवाल उठाते नजर आ रहे हैं ! तो क्या अब राहुल ट्विटर यूज नहीं करेंगे ? लेकिन लगता है जिस प्रकार ट्विटर ने उनको टेम्पररी ही लॉक किया था, वे भी टेम्पररी ही अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं वरना वे एग्जिट न कर जाते ! और फिर कोइंसिडेन्स ऐसा हुआ कि बीच में राजीव गांधी जयंती पड़ गई तो बातें तो बननी ही थी !
खैर ! जो हुआ सो हुआ ! बेहतर तो यही होता कि वे जयंती वाले दिन ट्वीट कर अपने विरोध को खत्म कर देते ! हालांकि बात तब भी बनती लेकिन तब "कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना" वाकई लागू होता !
किसी कहने वाले ने राहुल द्वारा मुद्दों को लेकर लोगों की समझ पर नार्थ बनाम साउथ विमर्श खड़ा करने का हवाला देते हुए कह ही दिया कि शायद राहुल गांधी ट्विटर के एक्शन से भी वैसे ही नाराज हो गये हों, जैसी शिकायत उन्हें अमेठी के लोगों के वोट न देने को लेकर रही है?
पिछले दिनों फेसबुक ने भी उसी मामले में राहुल पर एक्शन लेते हुए उनकी शेयर की हुई विवादास्पद तस्वीर वाली पोस्ट को पॉलिसी का उल्लंघन बताते हुए हटा दी है। ट्विटर के अकाउंट लॉक कर दिये जाने के बाद कांग्रेस की तरफ से बड़े पैमाने पर विरोध में #MainBhiRahul मुहिम चलाई गयी थी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई नेताओं ने डीपी बदल बदलते हुए राहुल गांधी की तस्वीर लगा दी थी और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने तो नाम भी राहुल गांधी लिख डाला था।
राहुल गांधी की लोकप्रियता और एक्सेप्टेन्स को तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने , खासकर ट्विटर ने तो , खूब कंट्रीब्यूट किया है। नरेंद्र मोदी के बाद सिर्फ उनके ही फॉलोअर्स तक़रीबन २० मिलियन ट्विटर पर हैं ! वैसे फेसबुक के एक्शन के बाद भी राहुल इंस्टा पर कम्फर्टेबल नजर आ रहे हैं। तभी तो राजीव गांधी जयंती पर उनका इंस्टा पोस्ट है ! फिर वे इंस्टाग्राम के माध्यम से ही ट्विटर को खूब टारगेट भी कर रहे थे। उन्होंने बाकायदा वीडियो संदेश भी डाला था ! "डिजिटल दादागिरी नहीं चलेगी" सरीखा पोस्ट भी डाला था ट्विटर के खिलाफ !
परंतु ट्विटर के इस्तेमाल को लेकर रहस्य फिलहाल बना हुआ है। क्यों ? समझ के परे हैं ! उन जैसा समझदार और परिपक्व नेता क्यों कर सोशल मीडिया सरीखे हथियार को ही अब टारगेट कर रहा है ? उन्हें समझना चाहिए सोशल मीडिया यूँ टारगेट हो ही नहीं सकता ! हाँ ! वाजिब कोई शिकायत है तो विधान का सहारा लें ; गरिमा बनी रहेगी ! फिर वे लोकतंत्र की दुहाई देकर किस किस से लड़ेंगे ? और सोशल मीडिया से जो लड़ाई वे लड़ रहे हैं, जनहित कौन सा है उसमें ? यदि वे सोचते हैं कि उनके और उनके निर्देशानुसार उनकी पार्टी के मौजूदा सरकार पर सोशल मीडिया को नियंत्रित करने का आरोप लगवाकर माइलेज ले पाएंगे तो वे भूल कर रहे हैं जो आगे चलकर एक और सेल्फ गोल ही साबित होगा ! ट्विटर पर थे तो वे रियल टाइम में मुद्दों पर अपनी बातें रख रहे थे और प्रचार प्रसार उनके फॉलोवर्स कर ही दे रहे थे। अब जब वे स्वयं ट्विटर पर एक्टिव नहीं है तो उनके नाम पर कितना भी पार्टी या अन्य प्रवक्ता बातें रखें , डायरेक्ट कनेक्ट वाला फैक्टर तो मिस कर ही रहा है ना !
एक बात और, सोशल मीडिया आज सबसे सशक्त माध्यम है युवाओं का ! एक सटीक अंदाजा है कि १३५ करोड़ के देश में तक़रीबन ४८ करोड़ लोग युवा हैं और उनका सोशल मीडिया कनेक्ट किसी न किसी फॉर्म में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से है ही ! लाइटर नोट पर एक बात कहे बिना रहा नहीं जा रहा है, क्या राहुल स्वयं को प्रौढ़ समझने लगे हैं ? यदि उन्होंने सोशल मीडिया के सबसे पॉपुलर प्लेटफार्म ट्विटर से अपनी बेरुखी यूँ ही बनाये रखी तो तय मानिये युवा जनता भी उनसे बेरुखी अख्तियार कर ही लेगी !
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